महाराष्ट्र में सत्ता का उलट-पलट

महाराष्ट्र राज्य के उपमुख्यमन्त्री अजीत कुमार जी का इस्तीफा देने के बाद वहाँ के नवनर्वाचित मुख्यमन्त्री देेवेन्द्र-फड़नवीस नें भी राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया। वहीं कल शाम को मुख्यमन्त्री इस्तीफा देने के बाद एन.सी.पी.,शिवसेना और कांग्रेस के बीच हुई साझा बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को साझा सहमति से आगाड़ा दल का नेता चुन लिया गया । और उद्धव ठाकरे नें राज्यपाल के सामने जाकर अपना मुख्यमन्त्री पद का दावा भी ठोक दिया है। वहीं राज्यपाल के आदेशानुसार बी.जी.पी. प्रवक्ता कालिदास को प्रोटेम स्पीकर बना दिया गया। क्योंकि  RULE OF RAW के तहत सदन के सबसे उत्क्रष्ठ सांसद को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जा सकता है। प्रोटेम स्पीकर नियुक्त होने के बाद उन्होनें सभी नये-नवेले तोनो पार्टियों के सांसदों को शपथ दिलाई।

वहीं कुछ समय तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमन्त्री रहे अजीत कुमार नें एन.सी.पी. खेमे में वापस लौटने के बाद मीडिया के पूछे हुए सवाल पर जबाव दिया कि मैं तो पहले भी एन.सी.पी. में था और अभी भी। वहीं आज एन.सी.पी. विधायक दल की हुई बैठक में अजीत पवार नें भी हिस्सा लिया।
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देश के माननीय ग्रहमन्त्री और B.J.P अध्यक्ष अमित शाह जी का बयान

बात करें B.J.P. की तो देश के गृहमन्त्री और B.J.P.के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह नें स्पष्ट जबाव दिया है कि बहुमत आनेे से पहले किसी भी चुनाव में या कहीं किसी भी स्थान पर शिवसेना को मुख्यमन्त्री पद देने का कोई भरोसा दिया ही नहीं और हमने चुनाव प्रचार के हर मंच पर देवेन्द्र फड़नवीस को ही मुख्यमन्त्री दोबारा बनाएंगे सदैव ऐसा ही बोला तथा ये बात उद्धव ठाकरे और अजीत ठाकरे के साथ हुए मंच पर भी यही ऐलान किया है कि महाराष्ट्र का मुख्यमन्त्री एक बार फिर से देवेन्द्र फड़नवीस ही बनेंगे और तब कभी भी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को आपत्ति नहीं थी यहाँ तक की खुद प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी साझा मंच में उद्धव ठाकरे के सामने ये बात कही। अगर उद्धव ठाकरे जी को कोई आपत्ति थी तो उन्होनें क्यों नहीं इस बात को उठाया कि वो मुख्यन्त्री का पद चाहते हैं।

अमित शाह जी नें बोला शिवसेना नें ये बात तब रखी जब उन्होंने देखा कि B.J.P.की सीटें बहुमत से कुछ कम आयी हैं और B.J.P.अकेले सरकार नहीं बना सकती उसके बाद इनके मन में मुख्यमन्त्री पद की लालसा जाग्रत हुई और ये एक नई बात बोलने लगे कि चुनााव प्रचार से पहले उद्धव ठाकरे से स्वर्गी बाला साहब ठाकरे की फोटो के सामने 50-50 के फार्मूले पर चलने के लिये बोला था और B.J.P. नें उसे स्वीकार भी कर लिया था । जबकि सच तो कुछ और ही है ,B.J.P.नें शिवसेना अध्यक्ष से ऐसा कोई वादा ही नहीं किया और तो और कभी भी मुख्यमन्त्री पद देने के विषय में बात ही नहीं हुई है।

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शिवसेना का मुख्यमन्त्री पद पाने की लालसा

शिवसेना नें मुख्यमन्त्री के लालच में  B.J.P. के साथ ब्लैकमेलिंग और विश्वासघात किया है और जब वो समझ गये कि B.J.P. इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी तो उन्होंने अपने धुर विरोधी कांग्रेस और एन.सी.पी. जिसके विरोध में शिवसेना का जन्म हुआ कहीं से भी विचार का मेल न होना और महाराष्ट्र का हर चुनाव प्रचार उनके विरुध लड़ने के बावजूद सिर्फ और सिर्फ मुख्यमन्त्री के लालच में शिवसेना नें इन तीनों पार्टियों के साथ गठबन्धन किया और जो मेंरे ऊपर विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसे ऩिराधार आरोप लगा रहे हैं उन्होंने तो पूरी शिवसेना यानी पूरे के पूरे 56 विधायकों को ही खरीद लिया है । अगर ऐसा नहीं है तो कांग्रेस और एन.सी.पी. अपना मुख्यमन्त्री बनाकर दिखायें। इसको अगर खरीद-फरोेख्त नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे।

बिहार के J.D.U. नेता की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़ी हुई एक बड़ी दिलचस्प खबर आ रही है। बिहार में महागठबन्धन के साथ चुनाव जीतने के बाद B.J.P. में शामिल हुई J.D.U. नेता अजय आलोक ने ट्वीट कर बहुत ही दिलचस्प ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने बोला है कि वाह-रे लोकतन्त्र महाराष्ट्र में पहले नंबर पे और सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली B.J.P. अब विपक्ष  में बैठेगी वहीं चौथे नंबर पर आयी हुई कांग्रेस पार्टी सत्ता की कुर्सी पर बैठने की तैयारी में जुटी हुई है या कहें तो बैठने जा रही है। और शत-प्रतिशत अंको से पास हुई पार्टी को धूल साफ करने के लिए बोल रही है तो इसके तुरन्त बाद ट्वीट का J.D.U. नें भी अपनी प्रतिक्रिया देेते हुए जबाब में बोला है,कि लगता है अजय आलोक जी अपनी ही पार्टी  J.D.U. के मुखिया नीतीश कुमार जी को आइना दिखाने का काम कर रहे हैं।

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