क्या जीवन को परभाषित किया जा सकता है। कि वास्तव में यह क्या है। या फिर जैसी की मान्यता है। कि परमात्मा द्वारा प्रहत यह एक विशेष उपहार है। जो कि हमें कई योनियों में रहने के पश्चात व हमारे प्रारब्ध के अनुसार हमें प्रभु द्वारा मनुष्य योनी के रुप में प्राप्त होता है। और यही अमूल्य जीवन है। अधिकाँश यही सोच सभी की रहती है। कई महान सन्तो नें, विचारको नें, और कई लेखाकारो द्वारा इसको कई नजरियो से नवाजा गया है। परन्तु आज भी यह खोज जारी है। कि इसका असली प्रारुप क्या है। सम्पूर्ण जीवन के दो मुख्य किरदार देखने को मिलते हैं। वह सुख और दुख के रुप में सामने आते हैं अति सुख प्राप्त हुआ तो जीवन सुखमय और अगर अधिक दुख प्राप्त हुआ तो जीवन दु:खमय । अगर ऐसा ही है। तो फिर सम्पूर्ण जीवन सुख और दुख का अप्रत्यक्ष स्वरुप है। जो हमारे ही द्वारा जनित सुख और दुख का कारण बनता है।
जीने की कला ही जीवन है
वस्तुत: यह बात प्रमाणित है। कि किसी भी तरह की कला को हम अगर सम्पूर्ण तरके से जानते हैं। तो यही हमारी सफलता के रुप में सामने आती है। यानी कि जीवन जीने को भी एक कला के नजरिये से देखा जाये और यदि हम इसमें पारंगत हैं। तो यह निश्चित हो जाता है। कि हम इसे बहुत ही अच्छे तरीके से जी पाएंगे।
परमात्मा के अधीन होना
ज्योतिष शास्त्र जो की अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं। पुराण काल से ज्योतिष शास्त्र नें सम्पूर्ण समाज के लिए अनेक हित के कार्य किये हैं। और समय-2 पर मनुष्य का जीवन किस प्रकार और भी सफल शान्तिमय व सम्पन्नता की ओर अग्रसर हो। इस विषय पर अपन मत रखता रहा है।
निश्चित ही हम जो भी कार्य करते हैं। उसका परिणाम अच्छे और बुरे किये गए कार्यों के अनुरुप ही उसका फल प्राप्त होता है। तो फिर यह मान लिया जाए। अगर प्रभु द्वारा बनायी गयी सत्ता को सहर्ष स्वीकार करते हैं। या उसके द्वारा बनाये गये। जीवन के समस्त मानकों का पालन करते हैं। तो हम उस सुख को ज्यादा से ज्यादा अपने जीवन में समाहित कर पाते हैं।
निश्चित रुप से सम्पूर्ण समाज, परिवार, ग्रहस्थ ये सभी प्रभु द्वारा बनायी उसकी रचना के महत्वपूर्ण अंग है। और यदि हम प्रभु द्वारा बनाये गये उसके सभी नियमों का पालन करते हैं। तभी एक सम्पूर्ण जीवन जीने को हम अग्रसर हो पाते हैं। चूकि यह विषय बहुत बड़ा है। समय-2 पर अपने द्वारा जीवन में प्राप्त किये गये अनुभवों को आप सब में और साझा करुँगा। और एक छोटा प्रयास की हम जीवन का आधार समझ पाये। और उसका कुशलता पूर्वक निर्वाहन कर सके।