जन्मदिन कैसे मनाते हैं ? जन्मदिन कैसे मनाना चाहिए ? बच्चों का जन्मदिन कैसे मनाते हैं ? बर्थडे मनाने का तरीका ? जन्मदिन क्यों मनाते हैं ? यह प्रश्न लोगों के मन में अक्सर उपजते जीते हैं । जन्म दिवस को भी हमारे भारत मे सौभाग्य दिवस माना गया है । किसी नवबधू को सन्तान प्राप्त होना सौभाग्य का सूचक है । मां बनते ही परिवार में उसका मान बढ़ जाता है । यह हर्ष और उल्लास का दिन होता है ।
प्रतिवर्ष बच्चे के जन्म के इस दिन को जन्म दिवस के रूप मे मनाने की परम्परा है । भारत में जन्म लेकर जिन्होंने महापुरुषों की श्रेणी प्राप्त की उनके संसार में न रहने के बाद भी आज तक समाज उनका जन्म दिन हर्षोल्लास पूर्वक मनाता चला आ रहा है । हर माता-पिता यही अभिलाषा रखता है कि हमारे बच्चे भी इसी प्रकार प्रतिभावान बने । अत: इसे भी संस्कार की तरह ही मनाते हैं कुछ परिवारों में आचार्य को बुलाकर बिधिवत पूजन हवन आदि भी होता है ।
जन्मदिन कैसे मनाते हैं ? जन्मदिन कैसे मनाना चाहिए ?
सामान्य रूप में माताएं एक मंगल कलश स्थापित कर लेती हैं । मंगल कलश अन्य पूजा के कलश की तरह है ।केवल नारियल के स्थान पर कलश के ऊपर दीपक जला कर रखते हैं । कलश रखने से पहले षड कमल चौक आंटे से बना कर उसी पर कलश रखें । कलश पात्र में सठिया बनाएं । यह श्रीगणेश जी का प्रतीक है । कलश के निकट मिट्टी के पांच छोटे टुकड़े से मां गौरी की स्थापना करें । ज्ञात रहे कि सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें । फिर मां गौरी का पूजन करें । इसके बाद कलश का पूजन करें ।
कलश में सभी देवताओं का वास होता है । इसके बाद पंचतत्वों का पूजन होता है । मानव शरीर पृथ्वी, जल ,अग्नि ,वायु और आकाश आदि पंचत्वों से बना है । इसके लिए चावल की पांच ढेरियां पाटे बना लेना चाहिए । ढेरियों के चावलों को रंगना चाहें तो पृथ्वी हरा, जल काला ,वायु पीला, अग्नि लाल, आकाश सफेद, रखना चाहिए ।
पूजन के मंत्र दिए जा रहे हैं । प्रतीक पूजा अर्थात सूक्ष्मा पूजा के मंत्र इस प्रकार हैं मंत्र बोलने से पहले हर बार हाथ में चावल पुष्प रोली थोड़ा सा जल डालकर के मंत्र पढ़कर चढ़ाते जाएं ।
ऊँ गौरी देव्यै नम:____आवाहयामि स्थापयामि ध़्यायामि पूजयामि लाइन के बाद से के चार शब्दों को अन्य हर मंत्र के बाद नमः लगा कर बोलते हुए चढा़ते जांए । कलश के जल मे ऊं वरुणाय नम: ,कलश के निकट प्लेट या कटोरी रख ऊँ लक्ष्मी नारायण नमः , उमा महेश्वर नमः ,वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नम: , सची पुरंदराभ्याम् नम: ,मातृ-पितृ चरण कमलेभ्यो नम: , कुल देवताभ्यो नम: ,इष्ट देवताभ्यो नम: , ग्राम देवताभ्यो नम: ,स्थान देवताभ्यो नम: ,सर्वेभ्यो देवतेभ्यो नम: ,
अब इसीप्रकार चावल की ढेरियों मे पंचतत्व पूजन करें ऊँ पृथव्यै नम:(हरा) ,ऊँ वरुणाय नम:(काला) , ऊँ पावकाय नम:(लाल) , ऊँ वायवे नम:(पीला) , ऊँ आकाशाय नम:(सफेद)
पूजा माता-पिता द्वारा की जाती है । बच्चा जितने वर्ष पूरे कर चुका है उतने छोटे दीपक और प्रवेश वर्ष का बड़ा दीपक रखते हैं । छोटे दीपक से प्रारम्भ कर अन्त में बड़ा दीपक जलाते हैं । दीपक आंटे या मिट्टी के रख सकते हैं । दीपक जलाते हुए गायत्री मंत्र अथवा निम्न मंत्र पढ़ते रहें
जन्म दिवस के अवसर पर देव पूजन से प्रसन्न होकर देव गण बच्चे के जीवन में स्वास्थ्य , सुख और बुद्धि प्रदान करते हैं । पंच तत्वों के पूजन से शरीर में इनका सन्तुलन बना रहता है । जिससे बच्चे की रोगों से रक्षा होती है ।
पूजन के बाद बच्चे को गाय का दूध, कुछ दाने तिल के डालकर पिलाना चाहिए । तिल और गाय के दूध को पुष्टि कारक माना गया है । इसके बाद बच्चे को बड़ों का आशीर्वाद लेने की प्रेरणा देनी चाहिए । आशीर्वाद से बल, बुद्धि एवं विद्या में वृद्धि होती है । दीपकों के जलाने से बच्चे का भविष्य उज्जवल होता है ।