दीपावली में भगवान गणेश एवं मां लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है , भगवान गणेश को बुद्धि ,विवेक एवं एकाग्रता का देवता कहा गया है अतः जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में एकाग्र चित्त होकर  नहीं लग रहा हो उनको गणेश जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए l मां लक्ष्मी ने गौरी पुत्र गणेश को प्रथम पूज्य देवता होने का आशीर्वाद दिया था lजो भी गणेश जी की पूजा करेगा उसे गणेश जी की कृपा के साथ लक्ष्मी जी की कृपा भी प्राप्त होगी l भगवान गणेश की पूजा निम्न मंत्रों से करने से उनकी विशेष कृपा की प्राप्ति होती है
भगवान श्री गणेश का बीज मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः॥
यह भगवान गणेश जी का बीज मंत्र है इसको विद्यार्थियों को कम से कम 11 बार अवश्य  पढ़ना चाहिए l
भगवान गणेश को सिंदूर चढ़ाने का मंत्र
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
उपरोक्त मंत्र को  पढ़ते हुए भगवान के मस्तक पर सिंदूर लगाएं l
इसके पश्चात भगवान श्री गणेश को अक्षत (चावल जो टूटा ना हो )निम्न मंत्र को पढ़ते हुए चढ़ाना चाहिए l
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः॥
इसके बाद  गजानन को इस मंत्र को पढ़ते हुए दूर्वा अर्पित करनी चाहिए  दूर्वा हरी घास होती है जो कि भगवान को अत्यधिक प्रिय है l
त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव॥
तत्पश्चात भगवान श्री गणेश को माला एवं पुष्प निम्न मंत्र के उच्चारण से अर्पित करना चाहिए l
पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां॥
इसके बाद गणेश जी को मोदक  का भोग लगाएं, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इस मंत्र का जाप करें l
शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम।
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां॥
गणेश जी की वंदना करके उनको प्रसन्न करें l
वन्‍दहुं विनायक, विधि-विधायक, ऋद्धि-सिद्धि प्रदायकम्।
गजकर्ण, लम्बोदर, गजानन, वक्रतुण्ड, सुनायकम्॥
श्री एकदन्त, विकट, उमासुत, भालचन्द्र भजामिहम।
विघ्नेश, सुख-लाभेश, गणपति, श्री गणेश नमामिहम॥
गणेश पूजन के बाद भगवान को प्रणाम करने के लिए इस मंत्र को पढ़ें l
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय ,
लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।
नागाननाय श्रुतियग्यविभुसिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
भगवान से क्षमा प्रार्थना करें हे प्रभु हमारे पूजन में अगर कोई गलती हो गई हो हमें माफ करें
क्षमा प्रार्थना
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां नैव हि जानामि क्षमस्व परमेश्वर।।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर।।
यत् पूजितं महादेव ! परिपूर्णं तदस्तु मे।।

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