शरीर का स्वस्थय रहना मनुष्य की मूलभूत आवशयकता है अगर शरीर स्वास्थय ठीक नहीं है तो जीवन का बड़े से बड़ा सुख व्यर्थ है जैसा कि कहा भी गया है,प्रथम सुख निरोगी काया अर्थात जीवन का पहला सुख निरोगी काया ही है।

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स्वस्थ रहने के सरल घरेलू उपाय

ताँबे के सिक्के के उपाय

रात में सोते समय अपने तकिये के नीचे एक ताँबे का सिक्का रख लें और सुबह होने पर इसे समसान की सीमा में फेंक दें। यह रोग दूर करने का बहुत ही प्रभावी टोटका है। इससे आपको रोग से मुक्ति मिलेगी।

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पीपल और तुलसी द्वारा उपाय

यदि आपके घर में कोई लगातार बीमारी से पीड़ित हो और उसे किसी भी दवा का फायदा न हो रहा हो तो चाँदी के गिलास में थोड़ा-जल और केसर डालकर अपने सिरहाने रखें तो रात्रि में सोते समय चाँदी के पात्र में केसर और जल मिलाकर अपने सिराहने रखें और सुबह उठते ही उसे तुलसी या पीपल मेे अर्पित कर दें। इससे आपका रोग दूर चला जाएगा।किसी भी शुभ-नक्षत्र में तुलसी की माला धाररण करने से भी रोग कट जाता है।

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गाय के द्वारा रोग नाश के उपाय 

अगर घर में कोई व्यक्ति काफी लम्बे समय से बीमारी से ग्रसित हो। तो गेहूँ के आंटे के तीन पेड़े बनाएं और एक लोटा जल लें,इसे बीमार व्यक्ति के सर के ऊपर 3 बार उतारें। उसके बाद जल को किसी पेड़ में तथा गेहूं के पेड़े को गाय को खिलाएं यह क्रिया रविवार को चालू करें और लगातार 3 दिन करें। यह रोग को दूर करने का बहुत कारगार उपाय है।

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गोमती चक्र का उपाय

एक गोमती चक्र में उसको हांडी में रखें और जो व्यक्ति गम्भीर बीमारी से ग्रसित है,उसके बेड के चौपाए में बांध दें। ऐसा करने से उसको रोग से मुक्ति मिलेगी।

ब्राहम्ण को दान द्वारा रोग मुक्ति के उपाय

रोगी व्यक्ति के वजन के बराबर खाने का सामान देशी घी,तेल सभी एक साथ तौलकर किसी गरीब ब्राहम्ण को दें,जो कि मन्दिर की सेवा करता हो,उसको तुला दान भी कहा जाता है। ऐसा करने से रोगी स्वस्थ हो जाएगा।

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महाम्रत्युंजय जाप का उपाय

अगर मरीज काफी दिन से बीमार हो और सारे उपाय करने के बावजूद उसे आराम न मिल रहा हो तथा रोगी के अन्दर नाकारात्मक भाव आ गया हो,जीवन जीने की इच्छा समाप्ति हो गयी हो। ऐसे में सवा लाख महाम्रत्युंजय-मन्त्र का जाप करवाना चाहिए अगर आर्थिक स्थित कमजोर होने के कारण सवा-लाख मन्त्रों का जाप करवाने में असमर्थ हैं तो स्वयं रुद्राक्ष की माला से रोगी के नाम से महाम्रत्युंजय-मन्त्र का जाप करना चाहिए। महाम्रत्युंजय-मन्त्र को संजीवनी के समान माना गया है। महाम्रत्युंजय-मन्त्र इस प्रकार है।

ॐ ह्रौं जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् भूर्भुवः स्वरों जूं सः ह्रौं ॐ ।।

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