कालसर्प दोष

कालसर्प दोष कैसे पता करें और कालसर्प दोष (kaal sharp dosh) क्या होता है । यह प्रश्न कई बार लोगों के मन में आता है । कालसर्प दोष  का नाम सुनते ही  कई बार लोग घबरा जाते हैं । इस लेख में आपको इन प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे तथा कालसर्प दोष का निवारण और  कालसर्प दोष के उपाय का भी वर्णन किया जाएगा ।

कुंडली में कालसर्प दोष कब बनता है ?

किसी भी कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण तब होता है , जब राहु और केतु के एक तरफ सारे ग्रह बैठ जाते हैं । अर्थात कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं , तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है । ज्योतिष ग्रंथों में कालसर्प दोष 12 प्रकार का बताया गया है

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अनंत कालसर्प दोष 

जब कुंडली में प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है तो अनंत कालसर्प दोष का निर्माण होता है । ऐसा व्यक्ति बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व का और स्वतंत्र विचारों वाला होता है । परंतु स्वास्थ्य को लेकर के समस्या बनी रहती है ।

कुलिक काल सर्प दोष

जब जन्म कुंडली में  द्वितीय भाव में राहु और केतु आठवें भाव में होता है तो कुलिक कालसर्प दोष बनता है । ऐसी स्थिति में आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ता है ।

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वासुकी काल सर्प दोष 

जन्म कुंडली में तृतीय भाव में राहु हो और नवम भाव में केतु हो तो वासुकी कालसर्प योग बनता है । ऐसे लोग काफी संघर्षशील होते हैं और संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त करते हैं ।

शंखपाल कालसर्प दोष 

कुंडली में राहु नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में हो तो  ये योग बनता है । ऐसे जातक को नौकरी संबंधित समस्या आ सकती है ।

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पद्य कालसर्प दोष

राहु जब पंचम भाव में होता है और और केतु ग्यारहवें भाव में विराजमान हो तो पद्य कालसर्प दोष बनता है ।  ऐसे लोगों को यौन रोग हो सकते हैं और व्यक्ति संन्यास की ओर अग्रसर हो सकता है ।

तक्षक कालसर्प दोष

जब केतु लग्न में हो और राहु सत्तम भाव में हो तो ऐसी स्थिति में तक्षक काल सर्प दोष बनता है । ऐसे लोगों को व्यापार में साझा नहीं करना चाहिए ।  मानसिक समस्याओं के योग्य योग बनते हैं ।

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कर्कोटक कालसर्प दोष

जब किसी कुंडली में राहु अष्टम भाव में और केतु द्वितीय भाव में होता है तो यह दोष बनता है । ऐसे व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।

शंखचूड़ कालसर्प दोष 

राहु सुख भाव में और केतु कर्म भाव में हो तो शंखचूड़  कालसर्प दोष बनता है । ऐसे जातक को व्यापार में उतार-चढ़ाव सामना करना पड़ता है ।

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घातक कालसर्प दोष

जब राहु 10 वें घर में और केतु चौथे घर में होता है । तब घातक कालसर्प दोष का निर्माण होता है ।  ऐसे लोगों को माता-पिता से होनेवाले कष्टों का सामना करना पड़ता है ।

विषधर कालसर्प योग 

राहु ग्यारहवें भाव में और केतु पांचवें भाव में हो तो विषधर कालसर्प योग बनता है । ऐसे लोगों को भाइयों से विवाद हो सकता है ।

शेषनाग काल सर्प दोष

जब राहु बारहवें भाव में और केतु छठे भाव में होता है । तो शेषनाग कालसर्प दोष का निर्माण होता है । इन लोगों को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है ।

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कालसर्प दोष के उपाय

1 – 42 दिन तक पक्षियों को जौ के दाने खिलाने से कालसर्प दोष पीड़ित व्यक्ति को लाभ होता है ।

2 – किसी शुभ मुहूर्त में नागपाश यंत्र अभिमंत्रित करा करके धारण करने से कालसर्प दोष का शमन होता है

3 – कालसर्प दोष निवारण यंत्र को घर में स्थापित करके पूजा करने से कालसर्प दोष का समान होता है

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4 – अगर कालसर्प दोष की बाधा लगातार आ रही हो और घर में बरकत ना हो तो ब्राह्मणों द्वारा राहु और केतु के मंत्रों का जाप कर आना चाहिए

5 – सावन मास में शिवजी को जलाभिषेक करने से कालसर्प दोष की शांति होती है

6 – भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराने से भी कालसर्प दोष की शांति होती है

7 –  अगर आर्थिक सामर्थ्य है  तो नासिक में त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष की शांति के लिए जाया जा सकता है ।

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