माला का महत्व

माला का महत्व

भारतीय संस्कृति में जप करने एवं धारण करने में माला की विशेष महत्ता हैं। जप करने के लिए माला की जरूरत होती है, जो रूद्राक्ष, तुलसी या नगों से बनी हो सकती है। अंगिरा-स्मृति में उल्लेख है कि बगैर कुश के अनुष्ठान, बिना जल-संस्पर्श के दान तथा बिना माला के संख्याहीन जप निष्फल होता है।

माला जप का महत्व

साधकों के लिए माला भगवान के स्मरण और नाम-जप की संख्या गणनार्थ बड़ी ही सहायक होती है। इसमें उतनी संख्या पूर्ण करने के लिए सब समय प्रेरणा प्राप्त होती रहती है एवं उत्साह तथा लग्न में किसी प्रकार की कमी नही आती।

जो लोग बिना संख्या के जप करते हैं, उन्हें इस बात का अनुभव होगा कि जब कभी जप करते-करते मन अन्यत्र चला जाता है, तब मालूम ही नहीं होता कि जप हो रहा था अथवा नहीं या कितने समय तक जप बंद रहा। यह प्रमाद हाथ में माला रहने पर या संख्या रहने पर या संख्या से जप करने पर नहीं होता।

108 (मनके) माला का महत्व 

माला में 108 मनके दाने होते है जिसके कारण के लिए हमारे विभिन्न धर्म शास्त्रों में कई तरह की व्याख्याऐं की गई है। माला के ऊपरी भाग में एक बड़ा मनका होता है, जिसे सुमेरू कहते हैं। माला की गिनती सुमेरू से शुरू कर माला समाप्ति पर इसे उलटकर फिर शुरू से 108 का चक्र प्रारम्भ करने का विधान है।

रुद्राक्ष माला का महत्व

रूद्राक्ष और तुलसी का माला विशेष रूप से गले अथवा बाजुओं में धारणा का जाती है, जिससे लिए वैज्ञानिक व धार्मिक मान्यताएं हैं। रूद्राक्ष की माला एक से लेकर चौदहमुखी रुद्राक्षों से बनाई जाती है।

108 दानों की माला धारण करने से अश्वमेध-यज्ञ का फल और समस्त मनोकामनाओं में सफलता मिलती है। रूद्राक्ष का माला श्रद्धापूर्वक विधि-विधानानुसार धारण करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। सांसारिक बाधाओं और दुःखों से छुटकारा प्राप्त होता है। मस्तिष्क और ह्रदय को बल मिलता है। रक्तचाप संतुलित होता है।

तुलसी माला का महत्व

तुलसी पौधे का हिंदू संस्कृति में अत्यन्त धार्मिक महत्व है। इसके सर्वरोग संहारक  प्रभाव के कारण ही स्वास्थय और दीर्घायु मिलती है। माला में तुलसी की गंध और स्पर्श से ज्वर, जुकाम, सिरदर्द, चर्मरोग, रक्तदोष आदि रोगों में लाभ मिलता है। तुलसी का माला धारण करने के संबंध में शालाग्राम पुराण में उल्लेख है-

तुलसी का माला भोजन करते समय शरीर पर होने से अनेक यज्ञों का पुण्य फल मिलता है। जो कोई तुलसी की माला धारण करके स्नान करता है, उसे गंगा आदि समस्त पुण्यसरिताओं में स्नान किया हुआ समझना चाहिए।

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