
मंगलवार व्रत कथा आरती
मंगलवार व्रत कथा आरती हनुमान जी को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है । ईश्वर ने आलस्य एवं पाप की निवृत्ति के लिए मंगल नाम का वार बनाया । ग्रह देवता मंगल व्याधियों को दूर करते हैं । जो व्यक्ति मंगलवार व्रत कथा विधि विधान से करता है ऐसे लोगों के हनुमान जी सभी मनोरथ पूरे करते हैं ।
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मंगलवार व्रत कथा विधि ( mangalvar vrat katha vidhi )
1 मंगलवार का व्रत लगातार 21 मंगलवार तक करना चाहिए ।
2 मंगलवार व्रत में एक बार भोजन करना चाहिए । भोजन में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए । फलाहार दिन में किया जा सकता है ।
बुधवार व्रत कथा । बुधवार व्रत की विधि ।।
3 मंगलवार के दिन नॉर्थ ईस्ट डायरेक्शन में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र लाल कपड़े के ऊपर स्थापित करें । पूजा के दौरान देशी घी का दीपक और लाल फूल चढ़ाएं ।
4 भगवान के सामने मंगलवार व्रत कथा, हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती करें ।(mangalvar vrat katha book )
मंगलवार व्रत कथा हनुमान जी की(mangalvar vrat katha bataye)
पूर्व काल की बात है की एक ब्राह्मण तथा एक ब्राह्मणी थे । उनके कोई संतान नहीं थी । संतान के लिए वे दोनों हनुमान जी की आराधना एवं मंगलवार को व्रत किया करते थे । किसी कारणवश ब्राह्मणी ने मंगलवार को भोजन नहीं बनाया ना ही हनुमान जी को भोग लगाया ।इसलिए इसके पश्चाताप स्वरूप ब्राह्मणी ने अगले मंगलवार तक 7 दिन तक व्रत रखने का संकल्प लिया ।
सोमवार व्रत कथा एवं पूजन विधि
जब अगला मंगलवार आया ,ब्राह्मणी कुछ करने को उठी तभी वह मूर्छित हो गई । उसी समय हनुमान जी ने उस ब्राह्मणी को दर्शन दिया और उसकी पूजा के फल स्वरुप एक बालक प्रदान किया ,जो सब प्रकार से सुंदर और श्रेष्ठ बालक था । वरदान देकर हनुमान जी अंतर्ध्यान हो गए ।
अचानक से पुत्र प्राप्त हो जाने पर और उस पुत्र को देखकर ब्राह्मण क्रोधित हो गया और पत्नी को भला बुरा कह कर के लांछन लगाने लगा । ब्राह्मण उस पुत्र अपने साथ जंगल ले गया और कुएं में धक्का देकर गिरा दिया और घर वापस आ गया ।
पुत्र मंगल को पति के साथ न देखकर ब्राह्मणी पूछने लगी की पुत्र कहां है ? परंतु ज्यों ही मंगल कहकर मां ने आवाज लगाई उसी समय मंगल हंसता हुआ आ गया।
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यह दृश्य देखकर ब्राह्मण आश्चर्य में पड़ गया । तत्पश्चात हनुमान जी ने ब्राह्मण को रात्रि में स्वप्न दिया कि हे ब्राह्मण देव तुम अपनी स्त्री और बालक पर किसी प्रकार का संदेह मत करो क्योंकि यह बालक मेरा है ।ब्राह्मण देवता तुम्हारी पत्नी की भक्ति से प्रसन्न होकर यह बालक मैंने की वरदान में दिया है ।
यह जानकर ब्राह्मण बहुत खुश हुआ और हनुमान जी की पूजा भक्ति बड़ी श्रद्धा के साथ करने लगा और बालक मंगल को बहुत प्यार करने लगा ।
इस प्रकार जो भी मनुष्य इस कथा को पड़ता है सुनता है या मंगलवार का व्रत करता है उसकी समस्त भाव बाधाएं हनुमानजी की कृपा से दूर हो जाती हैं । मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ।
।। इति मंगलवार व्रत कथा समाप्त ।।