पीपल के पेड़ की पूजा
क्यों होती है पीपल के पेड़ की पूजा
पीपल का वृक्ष है देव 

पीपल के पेड़ की जानकारी  देते हुए  हम आपको  इस लेख में  यह भी बताएंगे  की  पीपल के पेड़  की पूजा  क्यों की जाती है ? पीपल के फायदे  क्या है ?

महत्वपूर्ण पीपल वृक्ष विश्व के सुविस्त्रित वाडं.मय में वृक्षों और वनस्पतियों से संबंधित असीमित साहित्य उपलब्ध  है। प्रत्येक युग में वृक्षों का महत्व अक्षुण्य रहा है।

हमारे देश के वृक्षों में देवात्मा अथवा प्रत्यक्ष देवता मानने की पुरातन प्रथा है। वेदों से लेकर धर्म शास्त्रों के ग्रंथों में भी वृक्ष का देवता समाहित है। प्रत्यक्ष रूप में वृक्ष और वनस्पतियों में से हमें फल ,फूल,औषधियां,समिधा, बहुमूल्य लकड़ी याद तो आज तो प्राप्त होती ही है। अप्रत्यक्ष रूप से वर्षा एवं पर्यावरण के लिए भी वृक्षों का बड़ा महत्व है।

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पीपल के वृक्ष का वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है , कि प्राणी मात्र को जीवित रहने के लिए प्रथम आवश्यक तत्व ऑक्सीजन है। भोजन को पचाने से लेकर रक्त की शुद्धि एवं जीवनी शक्ति ऑक्सीजन के बिना संभव नहीं है। जो हमें वृक्षों से प्राप्त होती है।

सभी वृक्ष दिन के समय वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कर ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। पीपल का वृक्ष दिन – रात चौबीसों घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। इस कारण पीपल वृक्ष अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सर्वाधिक आक्सीजन उत्सर्जन के कारण पर्यावरणीय संरक्षण के लिए पीपल वृक्ष की उपयोगिता को समझते हुए विदेशों में भी इसे मान्यता दी।

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पीपल के पेड़ में औषधीय गुण

श्रीलंका यूनाइटेड स्टेट्स साउथ केलिफोर्निया फ्लोरिडा ,इजरायल, चीन एवं अन्य ट्रॉपिकल क्षेत्रों में पीपल का नाम आज अत्यधिक ऑक्सीजन देने वाले भारतीय वृक्षों को ले जाकर रोपित किया गया है। पीपल को 15 से 24 मीटर ऊंचाई तक सहज रूप में रोपित किया जा सकता है। पीपल में औषधीय गुण भी विद्यमान हैं।

पीपल को माना जाता है पैतृक वृक्ष

इसके औषधीय गुणों की संपन्नता से प्रभावित होकर भारत सरकार ने 1987 में इसे मान्यता देते हुए इस पर विशेष डाक टिकट जारी किया था। पीपल वृक्ष पौराणिक महत्व भी है। सर्वाधिक प्राचीन होने के कारण इसे पैतृक वृक्ष कहा जाता है।

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पीपल में है सभी देवी देवताओं का वास

भगवान कृष्ण ने गीता में विभूति वर्णन में दशम अध्याय के 26 में श्लोक-“अश्वत्थ: सर्व वृक्षाणां” सब वृक्षों में पीपल मै ही हूं , कहा है। पीपल में सभी देवताओं का वास माना गया है।

कहां गया है “अश्वत्थ: यत्र पूजिता :सर्व देवता:”

पीपल के मूल में ब्रह्मा , तने में पालनकर्ता भगवान विष्णु तथा शाखाओं में संहार करता एकादश रुद्रो का निवास माना गया है। पीपल को वासुदेव वृक्ष के नाम से भी पुकारा जाता है।

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पीपल के पेड़ के नीचे ना करें मल मूत्र त्याग 

इन्हीं मान्यताओं के कारण पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना भी की जाती है। इस वृक्ष के नीचे मल मूत्र त्याग करना वर्जित माना गया है।

पीपल के पेड़ के नीचे रखते हैं मृत शरीर

मृत शरीर सबको स्मशान ले जाते समय देव वृक्ष होने एवं अत्यधिक ऑक्सीजन उत्सर्जित करने के कारण ही संभवत पीपल वृक्ष के नीचे रखे जाने की परंपरा पड़ गई।

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कल्याणकारी वृक्ष है पीपल काटता है पाप

सर्वाधिक हितकारी होने के कारण इसे काटना पाप व रोपित करना पुण्यदायी कहा गया है । हमारे सभी वृक्ष धरा की शोभा तो बढ़ाते ही हैं और प्राणी मात्र के लिए उपयोगी भी हैं।

इसीलिए मानव के लिए वृक्ष देव तुल्य एवं श्रद्धा के केंद्र हैं। वास्तविकता तो यह है कि निस्वार्थ भाव से सभी प्राणियों का भरण पोषण करने वाले वृक्ष और वनस्पतियां ही सच्चे परमार्थी हैं।

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