ज्योतिष ग्रन्थों में योग का महत्व
कुंडली में राजयोग, यह योग बनाते हैं करोड़पति –
कुंडली में राजयोग (rajyog in kundali) कैसे देखें हम आपको बताएंगे । हमारे ज्योतिष ग्रन्थों,नारद संहिता,वाराह मिहिर रावण संहिता इ्त्यादि में हजारों योग बताए गए हैं। इनमें से कुछ योग बहुत ही शुभ और धनवान बनाते हैं और मनुष्य को उच्च शिखर तक पहुँचा देेते हैं जबकि वहीं दूसरी ओर कुछ लोग मनुष्य को धरातल तक पहुँचा देते हैं और जीवन में बहुत संघर्ष कराते हैं।
हम यहाँ पर आपको उन योगों के बारे में बताएंगे जो न सिर्फ आपको धनवान बनाते हैं बल्कि जीवन की समस्त भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति कराते हुए आपको उच्च शिखर तक पहुँचा देते हैं।
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शश योग ( कुंडली में राजयोग)
जब किसी भी कुंण्डली (kundali) मे शनि तुला राशि में बैठा हो तो शश योग का निर्माण होता है परन्तु शर्त यह है कि शनि की डिग्री 5 डिग्री से अधिक और 25 डिग्री से कम होनी चाहिए। तुला राशि में शनि उच्च का होता है। यदि शनि मकर राशि या कुंभ राशि में बैठा हो जो कि शनि की अपनी ही राशियाँ हैं तो भी शश योग का निर्माण होता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंण्डली में शश योग है। वह अपने जीवन में बहुत अधिक धनवान बनते हैं और उन्नति के शिखर पर पहुँचते हैं। ऐसे लोग सफलता धीरे-धीरे प्राप्त करते हैं परन्तु इनकी सफलता स्थाई होती है।
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रुचक योग (कुंडली में राजयोग)
जिन कुंण्डलियो में मंगल मकर राशि में बैठा होता है,जो कि मंगल की उच्च राशि है तो रुचक योग का निर्माण होता है।यदि मंगल अपनी ही राशि मेष औऱ वृश्चिक में बैठा हो तो भी रुचक योग बनता है। जिन लोगो की कुंण्डली में रुचक योग होता है। ऐसे लोग बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व के होते हैं और राजा की भाँति जीवन व्यतीत करते हैं। इन लोगों के जीवन में शानो-शौकत की कमी नहीं होती है। ऐसे लोग जहाँ भी जाते हैं उन्हें सम्मान की प्राप्ति होती है।
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भद्र योग (कुंडली में राजयोग)
जब बुद्ध अपनी ही राशि मिथुन औऱ कन्या में विद्धमान होता है तब भद्र योग का निर्माण होता है। बुद्ध कन्या राशि में उच्च का होता है। जिन लोगों की कुंण्डली में भद्रयोग होता है। ऐसे लोग बहुत ही बुद्धिमान और चतुर होते हैं। समाज के लोग इनकी बुद्धि का लोहा मानते हैं। यह लोग अपनी बुद्धि और विवेक से सफलता के उच्च शिखर तक पहुँच जाते हैं। इन लोगों के पास जीवन में पैसे की कमी नहीं रहती।
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मालव्य योग ( कुंडली में राजयोग)
जब शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में बैठा होता है तब मालव्य योग का निर्माण होता है अगर कुंण्डली में शुक्र वृषभ राशि और तुला राशि में भी बैठा होता है जो कि इनकी अपनी ही राशियां हैं तो भी मालव्य योग का निर्माण होता है। जिन लोगों की कुंण्डली में यह योग होता है,वह बहुत भाग्यशाली होते हैं। यह लोग जिस भी क्षेत्र मे होते हैं,भाग्य इनका भरपूर साथ देता है। इनको जीवन में वैभव और विलासिता की कमी नहीं होती ।
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गज केसरी योग (कुंडली में राजयोग)
जब कुंण्डली में गुरु और चन्द्रमा की स्थिति एक दूसरे के केन्द्र में होती है अर्थात जहाँ पर चन्द्रमा स्थित है। वहाँ से गुरु पहले,चौथ,सातवें,दसवें घर में हो या जहाँ पर गुरु स्थित है वहाँ से चन्द्रमा पहले,चौथे,सातवें,दसवें घर पर हो तो गज केसरी योग होता है अगर चन्द्रमा और गुरु इन घरो में एक साथ बैठे हों तो भी गज केसरी योग बनता है। जिन लोगों की कुंण्डली में गज केसरी योग होता है। ऐसे लोग बहुत ज्ञानी होते हैं। विवेक और दया इनमें कूट-कूट कर भरी होती है। यह लोग उच्च पदों पर विराजमान होते हैं। ऐसे लोगों का यश ज्ञान उनकी मृत्यु के पश्चात भी होता है।
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सुन्फा योग (कुंडली में राजयोग)
जब कुंण्डली में चन्द्रमा से दूसरे घर में कोई भी शुुभ ग्रह बैठा हो तो सुल्फा योग का निर्माण होता है। गुरु,शुक्र,बुद्ध इत्यादि शुभ ग्रह माने गए हैं। जिन लोगों की कुंण्डली में सुल्फा योग होता है। ऐसे लोग सरकारी नौकरियाँ प्राप्त करते हैं तथा उच्च पदों पर पहुँचते हैं। इऩके जीवन में धन,सम्मान,यश की कमी नहीं होती है।
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हंस योग ( कुंडली में राजयोग )
जब गुरु कर्क राशि में बैठा होता है तो हंस योग का निर्माण होता है। कर्क गुरु की उच्च की राशि है। अगर गुरु मीन और धनु राशि में बैठा हो तो भी इसी योग निर्माण होता है। जिन लोगों की कुंण्डली में हंस योग होता है,वह लोग बहुत अच्छे सलाहकार होते हैं। पढ़ाई-लिखाई में सदैव आगे रहते हैं। इनकी सलाह में बहुत अधिक सटीकता होती है। इसी कारण ये लोग सफलता के उच्च शिखर तक पहुँचते हैं।