

श्री राम जानकी संस्कृत महाविद्यालय एवं आश्रम गौरियापुर में चल रहे श्रीहरि हरात्मक पंच कुंडीय महायज्ञ के सातवें दिवस में जिसमें श्रीमद्भागवत में सदाशिव तिवारी ने रुकमणी विवाह के प्रसंग में कहा रुकमणी जी भगवान श्री कृष्ण की कथाओं और लीलाओं को सुनते सुनते की बड़ी हुई वह अपने पिता जी के साथ जाकर सत्संग में बैठ जाती थी और भगवान की लीलाओं का आनंद लेती थी तभी से उनके मन में कृष्ण के प्रति प्रेम जागृत हो गया और कृष्ण जी को अपना पति स्वीकार कर लिया वही भागवत मंच से शुभम शर्मा राहुल तिवारी पुराणाचार्य श्याम दिवेदी सतगुरु पांडे प्रमोद पांडे एवं डॉ राजेश मिश्र प्रशांत ने अपने मनोहारी कथाओं का वर्णन किया प्रवचन मंच से श्री सुनील अवस्थी महाभारती झारखंड से आए महंत सुबोधानंद जी श्री संजय रामायणी जी पवन अवस्थी जी एवं वृंदावन से पधारे पूज्य संत श्री राम शरण दास जी ने अपने अपने विचार रखे श्री राम शरण दास जी ने कहा राम तो त्याग की मूर्ति है इस विषय पर कहा राम वह है जो पिता के कहने पर हाथ में आए सिंहासन को ठुकरा कर वन की ओर प्रस्थान कर गए आज के लोग छल व कपट से वस्तुओं को हासिल करना चाहते हैं उधर यज्ञशाला में आचार्यों के द्वारा आहुतियां डलवाई गई इसमें यज्ञाचार्य श्री राज नारायण जी वेदाचार्य हैं आयोजक के संयोजक श्री श्री 108 महंत श्री देव नारायण दास जी ने बताया की 8 मार्च सोमवार को भंडारा होगा कार्यक्रम का संचालन डॉ राजेश शुक्ला ने किया वहीं आश्रम की व्यवस्थाओं को व्यवस्थित रूप से श्री राघव दास जी व्यवस्थित कर रहे हैं कार्यक्रम में छुटकऊ शुक्ला विनोद अवस्थी सुरेश अग्निहोत्री रामनरेश त्रिपाठी योगेश्वर अवस्थी राकेश शुक्ला अर्पित शुक्ल श्याम बाबु गुप्ता मोतीलाल कश्यप विकास कश्यप बलवंत बाथम सक्षम सजल सत्यम प्रखर आदि लोग मौजूद रहे